आज हम इस आर्टिकल में समा के चावल के फायदे और नुकसान, नुकसान, समा का आटा, समा के चावल price, समा के चावल की तासीर ठंडी होती है या गर्म, बार्नयार्ड मिलेट के पोषण मूल्य की जानकारी इत्यादि के बारे में। (Barnyard Millet ke fayde, Barnyard Millet in Hindi)।
बार्नयार्ड मिलेट, जिसे हिंदी में सावा, सांवा या झंगोरा कहा जाता है और अन्य कई नाम भी है जैसे वराई, कोदरी, संवत या समक इत्यादि। इसके दो स्पीशीज, Echinochloa frumentacea और Echinochloa esculenta, की खेती की जाती है।
यह एक अत्यधिक पोषक अनाज है जो स्वास्थ्य के लिए कई लाभ प्रदान करता है। इसमें फाइबर, प्रोटीन, आयरन, मैग्नीशियम, और अन्य महत्वपूर्ण खनिज प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो इसे सेहत के लिए अत्यधिक लाभकारी बनाते हैं।
बार्नयार्ड मिलेट ग्लूटेन-फ्री होता है और फाइबर की उच्च मात्रा के कारण कब्ज से राहत दिलाता है। इसका कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होने के कारण यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है।
बार्नयार्ड मिलेट के कई फायदे हैं, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। इसे अधिक मात्रा में खाने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे पेट फूलना या गैस। चलिए जानते है Barnyard millet in hindi, barnyard millet ke fayde aur nuksan इत्यादि की जानकारी विस्तार से।
समा के चावल कैसे होते हैं | Barnyard Millet in Hindi
समा के चावल, जिन्हें बार्नयार्ड मिलेट, “सावा,” या “झंगोरा” भी कहा जाता है, छोटे और गोल आकार के दाने होते हैं। यह चावल जैसा दिखता है लेकिन आकार में उससे काफी छोटा होता है। इसका रंग सफेद या हल्का भूरा होता है।
समा के चावल का उपयोग विशेष रूप से उपवास या व्रत के दौरान किया जाता है, क्योंकि यह ग्लूटेन-फ्री होता है और आसानी से पच जाता है।
समा के चावल का स्वाद हल्का और खुशबूदार होता है, जिससे इसे विभिन्न व्यंजनों में उपयोग करना आसान होता है। इससे खिचड़ी, पुलाव, उपमा, और खीर जैसी स्वादिष्ट व्रत रेसिपी बनाई जाती हैं।
इसके सेवन से वजन को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है, क्योंकि यह लंबे समय तक पेट भरा रखने में सहायक होता है। समा के चावल आसानी से पक जाते हैं और एक पौष्टिक आहार विकल्प हैं, विशेषकर उन लोगों के लिए जो हल्का और स्वास्थ्यवर्धक खाना पसंद करते हैं।
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समा के चावल Price | Sama Rice Price 1kg
समा के चावल (बार्नयार्ड मिलेट) का मूल्य भारत में विभिन्न राज्यों और शहरों में भिन्न-भिन्न हो सकता है। आमतौर पर 1 किलो समा के चावल की कीमत ₹100 से ₹200 के बीच होती है। मूल्य में यह अंतर बाजार की मांग, उपलब्धता, और स्थान के आधार पर होता है।
उदाहरण के लिए, महानगरों में जैसे दिल्ली, मुंबई, और बेंगलुरु में इसकी कीमत थोड़ी अधिक हो सकती है, जबकि ग्रामीण या उत्पादन क्षेत्रों में यह कम कीमत पर मिल सकता है। त्योहारी सीजन या व्रत के दिनों में इसकी मांग बढ़ने के कारण मूल्य में बढ़ोतरी देखी जा सकती है।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर भी समा के चावल उपलब्ध होते हैं और इनके मूल्य में ब्रांड और गुणवत्ता के अनुसार अंतर हो सकता है।
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समा के चावल के फायदे और नुकसान | Barnyard Millet Benefits and Side Effects in Hindi
समा के चावल के फायदे और नुकसान दोनों होते है यदि इसके सेवन से होने वाले फायदे की बात करे तो, इसके सेवन करने से पाचन में सुधार होता है, सुगर की समस्या में लाभ होता है, हृदय स्वास्थ्य को ठीक रखता है, लंबे समय तक शरीर को भूख नहीं लगता, वजन घटाने में फायदेमंद होता है, लंबे समय तक शरीर को ऊर्जा देता है और शरीर के लिए आवश्यक कई विटामिन्स और पोषक तत्वों की पूर्ति करता है।
समा के चावल के नुकसान भी होते है जिसमे मुख्य नुकसान जो अभी तक देखा गया है कि इसके अधिक सेवन से पाचन ख़राब हो जाता है, पेट फूलने लगती है गैस की समस्या हो जाति है।
इसमें फाइटिक एसिड होता है, जो शरीर में खनिजों के अवशोषण को बाधित कर सकता है अर्थात शरीर में अन्य खाद्य पदार्थ से मिलने वाले मिनिरल्स को शरीर में लगने नहीं देता।
ये तो कुछ गिने चुने ही समा के चावल के फायदे और नुकसान बताये गए है चलिए इसे Benefits और Side Effects को और भी विस्तार से जानते है।
समा के चावल के फायदे | Barnyard millet benefits in hindi
समा का चावल एक अत्यधिक पौष्टिक अनाज है जो स्वास्थ्य के लिए कई फायदे प्रदान करता है। यह अनाज भारत में विशेष रूप से उपवास के दौरान खाया जाता है और इसे पचाना आसान होता है।
समा के चावल में प्रोटीन, फाइबर, आयरन, मैग्नीशियम, और विटामिन बी6 जैसे कई पोषक तत्व होते हैं, जो इसे एक स्वास्थ्यवर्धक आहार विकल्प बनाते हैं। आइए इसके मुख्य फायदों पर विस्तार से चर्चा करते हैं:
1. ग्लूटेन-फ्री
समा के चावल पूरी तरह से ग्लूटेन-फ्री होते हैं, जो उन लोगों के लिए फायदेमंद हैं जिन्हें ग्लूटेन से एलर्जी है या सीलिएक रोग है। ग्लूटेन-फ्री होने के कारण इसे व्रत के दौरान भी आसानी से खाया जा सकता है और पचाना भी सरल होता है।
2. पाचन में सुधार
इसमें उच्च मात्रा में फाइबर होता है, जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाने और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। समा के चावल आंतों की सफाई में भी सहायक होते हैं और पाचन प्रक्रिया को सुचारू बनाए रखते हैं।
3. ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मददगार
समा के चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके नियमित सेवन से शुगर का स्तर कम होता है, जिन्हें सुगर की समस्या होती है उन्हें सामान्य सफेद चावल को अपने आहार में शामिल करने से मना किया जाता है ऐसे में उनके लिए समा का चावल (Sama Rice) उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला सफेद चावल का बहुत अच्छा विकल्प हो सकता है।
4. वजन घटाने में सहायक
वजन घटाने के लिए समा के चावल एक बेहतरीन विकल्प है। इसमें फाइबर की अधिक मात्रा होती है, जो पेट को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराती है और भूख को नियंत्रित करती है। इससे अतिरिक्त कैलोरी की खपत कम हो जाती है और वजन घटाने में सहायता मिलती है।
5. पोषण से भरपूर
समा के चावल में प्रोटीन, आयरन, मैग्नीशियम और विटामिन बी6 की अच्छी मात्रा होती है, जो शरीर को ऊर्जा देने, मांसपेशियों को मजबूत बनाने, और शरीर की कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक होती है। आयरन की मौजूदगी एनीमिया जैसे बीमारी को ठीक करने में अहम भूमिका निभाता है।
6. हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद
इसमें कम मात्रा में वसा होती है, जिससे यह हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। उच्च फाइबर सामग्री रक्तचाप को नियंत्रित करने और खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करती है, जिससे हृदय रोगों का खतरा कम होता है।
7. हड्डियों को मजबूत बनाना
इसमें मौजूद मैग्नीशियम हड्डियों के विकास और मजबूती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मैग्नीशियम के साथ-साथ अन्य खनिज भी शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ावा देते हैं, जिससे हड्डियां स्वस्थ रहती हैं।
इन सभी फायदों के कारण समा के चावल एक संपूर्ण और स्वास्थ्यवर्धक आहार विकल्प है। इसे आप व्रत के दौरान या दैनिक आहार में शामिल कर सकते हैं। इसके उपयोग से न केवल शरीर को आवश्यक पोषण मिलता है बल्कि यह वजन घटाने, ब्लड शुगर नियंत्रण, और पाचन तंत्र को सुधारने में भी मदद करता है।
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समा के चावल के नुकसान | Barnyard millet side effects in hindi
समा के चावल के नुकसान की बात करे तो इसको असंतुलित मत्रा में ग्रहण करने से पाचन संबंधी समस्याएं, शरीर में कमजोरी, समा के चावल की तासीर गर्म होने के कारण अत्यधिक सेवन से पेट खराब और वजन बढ़ाने की समस्याएं देखी जाती है।
निम्नलिखित समा के चावल के संभावित नुकसान का विवरण दिया गया है:
1. पाचन संबंधी समस्याएं
समा के चावल में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो कुछ लोगों के लिए पाचन संबंधी समस्याएं उत्पन्न कर सकती है। यदि इन्हें अत्यधिक मात्रा में खाया जाए, तो पेट में गैस, फूलना या दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए इसे संतुलित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए।
2. फाइटिक एसिड की उपस्थिति
समा के चावल में फाइटिक एसिड पाया जाता है, जो शरीर में खनिजों (जैसे आयरन, जिंक और कैल्शियम) के अवशोषण को बाधित कर सकता है। इस वजह से, नियमित और अत्यधिक सेवन करने से लंबे समय में पोषण संबंधी कमी हो सकती है।
3. एलर्जी का खतरा
कुछ लोगों को समा के चावल से एलर्जी हो सकती है। यदि किसी व्यक्ति को अनाज से संबंधित एलर्जी है, तो उसे समा के चावल का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
4. वजन बढ़ाने की संभावना
यद्यपि समा के चावल वजन घटाने में सहायक हो सकते हैं, लेकिन अगर इन्हें अत्यधिक मात्रा में या अन्य उच्च कैलोरी सामग्री के साथ मिलाकर खाया जाए, तो यह वजन बढ़ाने का कारण बन सकते हैं।
इन संभावित नुकसानों को ध्यान में रखते हुए, समा के चावल का सेवन संतुलित मात्रा में करना चाहिए। अगर कोई विशेष स्वास्थ्य समस्या है, तो हमेशा अपने चिकित्सक या पोषण विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित होता है।
समा के चावल ठंडे होते हैं या गरम | समा के चावल की तासीर ठंडी होती है या गर्म
समा के चावल की तासीर गर्म होती है, इसके अधिक सेवन से पेट में गर्मी बढ़ने के कारण पाचन संबंधी समस्याएं होती है। समा के चावल की तासीर गर्म होने के कारण इसे गर्मी के मौसम में किसी ठंडे खाद्य पदार्थ के साथ सेवन करने की सलाह दी जाती है जिससे पेट में तापमान संतुलित रहे और इसके कारण पेट को को कोई गंभीर नुकसान ना हो।
Barnyard Millet ऊर्जा का बहुत अच्छा सोर्स है और इसमें प्रोटीन भी काफी अच्छी मात्रा में पायी जाती है इसलिए इसको ठंडी के मौसम में शरीर में गर्मी लाने के लिए सामान्य सफ़ेद चावल के स्थान पर खा सकते हैं यह जरूर लाभ प्रदान करता है।
सांवा का आटा | Barnyard Millet Flour
सांवा का आटा, जिसे बार्नयार्ड मिलेट का आटा भी कहा जाता है, एक पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक आटा है जो बार्नयार्ड मिलेट (सांवा) को पीसकर तैयार किया जाता है। यह आटा ग्लूटेन-फ्री होता है, इसलिए यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है जिन्हें ग्लूटेन से एलर्जी होती है या जो हल्का और पचने में आसान भोजन पसंद करते हैं। सांवा का आटा हल्के भूरे रंग का होता है और इसमें एक हल्की खुशबू होती है।
सांवा के आटे से रोटी, पराठा, पूड़ी, उपमा, और अन्य व्यंजन बनाए जा सकते हैं। इसका उपयोग व्रत के दौरान विशेष रूप से किया जाता है क्योंकि यह धार्मिक उपवासों के अनुकूल होता है। पौष्टिकता से भरपूर और हल्का स्वाद होने के कारण इसे दैनिक आहार में भी शामिल किया जा सकता है।
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बार्नयार्ड मिलेट के पोषण मूल्य की जानकारी | Barnyard Millet Nutritional Value Per 100g
यहां बार्नयार्ड मिलेट (जंगली बाजरा) के प्रति 100 ग्राम के पौष्टिक मूल्य की एक तालिका है:
पोषक तत्व | प्रति 100 ग्राम |
कैलोरी | 360 कैलोरी |
प्रोटीन | 11 ग्राम |
कार्बोहाइड्रेट | 72 ग्राम |
वसा | 3.6 ग्राम |
फाइबर | 6.7 ग्राम |
आयरन | 18 मि.ग्रा. |
फोस्फोरस | 293 मि.ग्रा. |
मैग्नीशियम | 119 मि.ग्रा. |
कैल्शियम | 11 मि.ग्रा. |
पोटैशियम | 195 मि.ग्रा. |
नियासिन | 5.2 मि.ग्रा. |
विटामिन-बी6 | 0.2 मि.ग्रा. |
विटामिन-बी1 | 0.1 मि.ग्रा. |
विटामिन-बी2 | 0.1 मि.ग्रा. |
फोलेट | 17 मि.ग्रा. |
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सांवा की खेती | समा के चावल का पौध
सावा, सांवा या झंगोरा यह भारत के उत्तराखंड में अधिकतर उगाया जाता है, लेकिन यह चीन, जापान, और कोरिया में भी प्रचलित है।
इंडियन बार्नयार्ड मिलेट के रूप में Echinochloa frumentacea को जाना जाता है जबकि Echinochloa esculenta को जैपनीज बार्नयार्ड मिलेट कहा जाता है। इसका वर्गीकरण Poaceae फैमिली से होता है।
बार्नयार्ड मिलेट की खेती गर्म और शीतोष्ण जलवायु में की जाती है। यह फसल तेजी से तैयार होती है और करीब 45-60 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसे बिना कीटनाशक के भी आसानी से उगाया जा सकता है।
जब किसान अपनी जीविका के लिए चावल की खेती नहीं कर पाते हैं, तब वे बार्नयार्ड मिलेट की खेती कर सकते हैं। इसका स्वाद टूटे हुए चावल जैसा होता है, जिससे इसे विभिन्न तरीकों से पकाया और खाया जा सकता है।
सांवा (बार्नयार्ड मिलेट) की खेती एक सरल और प्रभावी प्रक्रिया है। यह अनाज सूखे और गर्म जलवायु में अच्छी तरह से उगता है और इसकी खेती को विशेष देखभाल की आवश्यकता नहीं होती। यहां सांवा की खेती के प्रमुख पहलुओं का वर्णन किया गया है:
1. जलवायु और मिट्टी
सांवा की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। यह विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में उग सकता है, लेकिन बलुई और काली मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी होती है। मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए।
2. बीज चयन
सांवा के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें। बीज की गुणवत्ता और किस्में फसल की उत्पादकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। स्थानीय कृषि केंद्रों से उचित बीज प्राप्त करना सर्वोत्तम होता है।
3. बुवाई का समय
सांवा की बुवाई वर्षा के मौसम के प्रारंभ में की जाती है, जो आमतौर पर जून से जुलाई के बीच होती है। फसल की वृद्धि के लिए 20-25 डिग्री सेल्सियस का तापमान सबसे अनुकूल होता है।
4. बुवाई की विधि
बीजों को 20-25 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारों में बुवाई करना चाहिए। प्रत्येक पंक्ति के बीच 30-40 सेंटीमीटर की दूरी रखी जाती है। बीजों की गहराई लगभग 2-3 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
5. सिंचाई
सांवा की फसल सूखी होती है और इसे अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती। वर्षा के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता कम होती है। अगर वर्षा कम हो, तो हल्की सिंचाई की जा सकती है।
6. खाद और उर्वरक
सामान्यत: सांवा की फसल को पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद और कुछ रासायनिक उर्वरक की आवश्यकता होती है। फास्फोरस और पोटाश उर्वरक का प्रयोग करना फसल की वृद्धि के लिए लाभकारी होता है।
7. कृषि संचालन
फसल के स्वस्थ विकास के लिए खरपतवारों को नियंत्रित करना आवश्यक है। इसके लिए निराई-गुड़ाई करना महत्वपूर्ण है। यदि कीट या रोग लगते हैं, तो उचित
8. फसल कटाई
सांवा की फसल लगभग 70-80 दिनों में तैयार हो जाती है। जब पौधे पीले और सूखे हो जाएं, तब फसल को काटा जाता है। कटाई के बाद, फसल को छायादार स्थान पर सुखाना चाहिए ताकि बीज अच्छी तरह से सूख जाएं।
9. बीज संग्रह
सुखाने के बाद बीजों को अलग करने के लिए फसल को अच्छी तरह से थ्रेश किया जाता है। इसके बाद, बीजों को ठंडी और सूखी जगह पर संग्रहित किया जाता है।
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समा के चावल का पौधों विशेषताएं
सांवा के पौधे की ऊंचाई 1-2 मीटर तक होती है। इसके पत्ते लंबे और संकीर्ण होते हैं। फसल में छोटे-छोटे फूल होते हैं, जो बाद में बीजों में परिवर्तित होते हैं। ये पौधे सूखा सहन करने की क्षमता रखते हैं और कम जलवायु में भी अच्छी तरह से उगते हैं।
सांवा की खेती एक लाभकारी व्यवसाय हो सकता है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां अन्य अनाजों की खेती करना कठिन होता है। इसके पौष्टिक गुणों और उच्च मांग के कारण इसे कई प्रकार के व्यंजनों में उपयोग किया जाता है।
सांवा का बीज कहां मिलेगा
सांवा का बीज (बार्नयार्ड मिलेट) विभिन्न स्थानों पर उपलब्ध होता है। यहां कुछ प्रमुख स्थान और स्रोत दिए गए हैं जहां आप सांवा का बीज खरीद सकते हैं:
- स्थानीय कृषि केंद्र: आपके निकटवर्ती कृषि विकास केंद्र या कृषि अनुसंधान संस्थान में सांवा का बीज उपलब्ध हो सकता है। ये केंद्र विभिन्न प्रकार के उच्च गुणवत्ता वाले बीज प्रदान करते हैं।
- बीज कंपनियां: कई कृषि बीज कंपनियां हैं जो विशेष रूप से अनाजों के बीजों का उत्पादन और वितरण करती हैं। आप ऑनलाइन या स्थानीय दुकानों पर इन कंपनियों के बीज खरीद सकते हैं।
- कृषि मेलों और प्रदर्शनी: कई बार कृषि मेलों या प्रदर्शनी में बीज विक्रेता अपने उत्पादों का प्रदर्शन करते हैं, जहां आप सांवा का बीज खरीद सकते हैं।
- ऑनलाइन प्लेटफॉर्म: Amazon, Flipkart, और अन्य ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर भी सांवा का बीज उपलब्ध होता है। यहां से आप अपने स्थान के अनुसार बीज मंगा सकते हैं।
- स्थानीय बाजार: कई बार स्थानीय कृषि बाजारों में भी सांवा का बीज मिल सकता है। स्थानीय किसान या विक्रेता से संपर्क करके आप उचित मूल्य पर बीज खरीद सकते हैं।
- सरकारी योजनाएं: कुछ राज्यों में सरकार द्वारा किसानों को सब्सिडी पर बीज उपलब्ध कराया जाता है। अपने स्थानीय कृषि कार्यालय से जानकारी प्राप्त करें कि क्या आपके क्षेत्र में कोई ऐसी योजना चल रही है।
इन स्रोतों से आप सांवा का बीज आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। खरीदने से पहले सुनिश्चित करें कि बीज उच्च गुणवत्ता वाले और स्वस्थ हों।
प्रोसो मिलेट (Barnyard Millet) से सम्बंधित अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रोसो मिलेट क्या है?
प्रोसो मिलेट एक प्रकार का अनाज है जिसे बार्नयार्ड मिलेट भी कहा जाता है। यह एक उच्च पौष्टिक अनाज है, जो विशेष रूप से एशिया और अफ्रीका में उगाया जाता है।
प्रोसो मिलेट के पोषण मूल्य क्या हैं?
प्रोसो मिलेट में प्रोटीन, फाइबर, आयरन, कैल्शियम, और मैग्नीशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं। यह ग्लूटेन-फ्री होता है और यह कई प्रकार के विटामिन भी प्रदान करता है।
प्रोसो मिलेट के फायदे क्या हैं?
प्रोसो मिलेट के कई फायदे हैं, जैसे:पाचन में सुधार ब्लड शुगर नियंत्रण में मदद वजन घटाने में सहायक हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा ऊर्जा का अच्छा स्रोत
प्रोसो मिलेट कैसे पकाया जाता है?
इसे आमतौर पर चावल की तरह पकाया जाता है। 1 कप प्रोसो मिलेट के लिए 2 कप पानी का अनुपात रखते हुए इसे उबालना होता है। इसे उबालकर, धुलकर या फिर विभिन्न व्यंजनों में प्रयोग किया जा सकता है।
क्या प्रोसो मिलेट व्रत के दौरान खाया जा सकता है?
हां, प्रोसो मिलेट एक ग्लूटेन-फ्री अनाज है और इसे उपवास के दौरान खाया जा सकता है। यह हल्का और पौष्टिक होता है।
निष्कर्ष
इस आर्टिकल में हमने समा के चावल के फायदे और नुकसान, नुकसान, समा का आटा, समा के चावल price, समा के चावल की तासीर ठंडी होती है या गर्म और समा के चावल की खेती के विषय में भी बातें की है। इस आर्टिकल को पढ़ कर आप बार्नयार्ड मिलेट (समा) के पोषण मूल्य की जानकारी भी प्राप्त कर सकेंगे। यहाँ तक आर्टिकल पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।